Friday, 23 September 2011

अब ओ आदत सी हो गई


हर लम्हा उसको चाहने की अब तो आदत सी हो गई
देखता रहता हूँ दुढ़ता रहता हूँ एक नई झलक एक नया तरंग
उसके चहरे पर, अब तो बेचैन रहने की आदत सी हो गई...
जानता भी नहीं की उसको खबर है मेरी या नहीं पर मै और
मेरी चाहत तलास मे उसके दीदार के जाने अनजाने बेगाने
घूमता रहता है हर पहर इस कड़ी धुप मे खड़े रहने की आदत सी हो गई ...
दोस्तों यारो से अपना नाम पागल आशिक सुनने की आदत सी हो गई
अब तो उसको चाहने की आदत सी हो गई ....
अपनी आँखो मे उसको तरासने की, हर धड़कन मे उसका नाम सुनने की
अब तो आदत सी हो गई ना जाने किस राह पर चल पड़ा ये दिल मेरा ना
जाने इसकी मंजिल कहा है पर अब तो उस मंजिल को पाने की चाहत सी हो गई....
पता नहीं जानता भी है या नहीं मेरा खुदा और ऐ तक़दीर मेरी की है या नहीं
वो मेरे मुकदर मे मेरे पर फिर भी उसको अपना मुकदर बनाने की तडप सी
हो गई अब तो उसको चाहने की आदत सी हो गई......!!!!

:-    अतुल कुमार सिंह
(c)  All Rights Reserved
   

Tuesday, 23 August 2011

ये जिद है या जूनून ??


अन्ना हजारे एक नाम जो आज देश का बच्चा बच्चा जनता है और उसकी जबान पर है पर इसकी ये जिद क्या जो कही सरकार को ना हिला दे ! 73 वर्षीय अन्ना हज़ारे 16 अगस्त से अनशन पर हैं डॉ नरेश त्रेहान ने मंगलवार की शाम को अन्ना हज़ारे के स्वास्थ्य की जाँच करने के बाद कहा कि उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें अस्पताल ले जाना चाहिए पर अन्ना ने एक गजब सी बात कर माहोल को अपना बना लिया अन्ना ने कहा “मेरी अंतरात्मा कह रही है कि तू ये क्या कह रहा है कि दिल दिया है, जान भी देंगे और जान देने से डरता है तो मैंने डॉक्टरों से कह दिया है कि मेरी अंतरात्मा कह रही है कि कोई दवा नहीं लेनी है”  मुझे तो इनकी ये जिद भी समझ नहीं आती आखिर कुछ तो है अन्ना की आवाज देश की आवाज बनती जा रही है माहोल का कुछ पता नहीं कब कितना जोशीला बन जाये क्रांति की खुशबु रामलीला मैदान के हवाओ में मानो समाई है ! अन्ना के साथियो ने ये तो स्पष्ट किया की अन्ना गुल्कोज घुला पानी ले रहे है लेकिन पिछले 8 दिनों से उनका स्वास्थ लगातार गिरता जा रहा है ! देश के लिए दीवानगी का मंजर देखते बन रहा है कुछ शब्द मानो वह खड़े आन्दोलन कारियो का आत्म बल चटान की तरह मजबूत बना रहा है उसी में से ये एक “"मै मर गया तो परवाह नहीं, मेरे बाद कितने अन्ना खड़े हो गए हैं."”
सरकार का क्या है अधिक से अधिक गिर जायेगी और क्या ?? पर कही इस जस्तोजह्त में माँ भारती अपना एक बेटा ना खो दे! सरकारी लोकपाल और जन लोकपाल के बिच का रास्ता निकलने में लगे हमारे बुद्धिजीवी अपना काम सरकारी तोर तरीके से करने में लगे है !
आगे क्या होगा वो तो वो ही जाने ?

 :- अतुल कुमार

Monday, 22 August 2011

रामलीला मैदान में इतिहास लिखता हिंदुस्तान

Photo By :- Koustabh Das
 

रामलीला मैदान में उमड़े जनसलाब अपने आप में एक गहरी कहानी को कह रही थी ! भ्रष्टाचार के खिलाफ फेले इस आन्दोलन को पुरे देश से समर्थन मिल रहा है ! सरकारी लोकपाल बिल का पुरजोर विरोध करने के लिए देश के कोने कोने से अन्ना के समर्थक रामलीला मैदान में अपने अपने अंदाज में विरोध कर रहे है ! भ्रष्टाचार का विरोध अपने चरण सीमा पर है, अन्ना जन लोकपाल बिल को लाने के लिए जिस गाँधीवादी विचार धारा अपना रहे है यानि अनसन वो अब सिर्फ अन्ना का अनसन नहीं रहा बालिकी पुरे देश का अनसन बनता जा रहा है ! हर वर्ग के लोगो का पूर्ण समर्थन अन्ना को मिल रहा है लोग के ही सुर में देशभग्ति के तरानों को गा रहे है आन्दोलन को एक क्रन्तिकारी आन्दोलन में तब्दील कर रहे है सभी अपनी आवाज को एक साथ मिला कर सोती सरकार को जगाने का काम कर रही है ! लम्हा बहुत जादा रोमांचक बना है भिड की कोई गिनती नहीं है इतने बड़े जनसलाब को देख कर ये जरुर कहा जा सकता है की ‘’जब आगाज एस है तो अंजाम केसा होगा’’ ! अन्ना हजारे का सवस्थ अभी सही व् संतुलित बना हुआ है डॉक्टर की टीम को अन्ना के सवास्थ पर हर पल नजर रखी है, जब भी कोई मंच पर आता है तो मनो अपने भासन, देशभग्ति जित संजीत से माहोल को और कर्न्तिकारी बना दे रहा है इस माहोल का उत्साह और आत्मविश्वास मानो गगन को छू रहा है ! आजादी की पहली लड़ाई ने ब्रिटिश सासन को तो उखड फेका पर कही न कही भ्रष्टाचार के दीमक ने अन्दर से देश को पकर  रखा था जो 65 सालो से अंदर ही अंदर देश और जनता को खोखला कर रहा था लेकिन अन्ना हजारे का कहना है ये आजादी की दूसरी लड़ाई है और ये भ्रष्टाचार के रोग को खतम कर देगा ! टीम हजारे की माग अपनी जगह टिकी है और सरकार लोकपाल विधयक के तीसरे चहरे पर विचार विमश करने लगी है, रामलीला मैदान का माहोल ये प्रदर्शित कर रहा था की देश भ्रष्टाचार के खिलार एक जुट होकर लड़ रहा है ! हर कोई चाहता है की एक मजबूत और संतुलित जन लोकपाल को देश में लागु किया जाये ! अन्ना ने कहा “इस देश की ताकत इसके युवा है और वो अब जग चुके है और हमारे साथ अदम से कदम मिला कर चल रहे है”  जब तक एक मजबूत कानून नहीं लाया जायेगा में अनसन जारी रखुगा ये क्रांति तब तक चलती रहेगी! हम सता को नहीं व्वस्था को बदलना चाहते है ! देश को भ्रष्टाचार और घूसखोरी मुक्त बनाना चाहते है और ये तभी हो पायेगा जब एक मजबूत लोकपाल हमारी कानून व्वस्था में होगा !

Tuesday, 12 July 2011

"धार्मिक भ्रष्टाचार अपने चरन पर"


भारत देश में धार्मिक भ्रष्टाचार एक एसा मुदा है जिस पर प्रकाश डालना अति जरुरी है
हमारे आस पास कई एसे लोग है जो सायद ही पेट भर दो वक्त की रोटी खा पाते है !
आज प्रतिस्पर्धा में इंसान पैसा कमाने के लिए रात दिन एक कर देता है और फिर
उस पैसे को उस जगह दान कर देता है जिसका उसे पता भी नहीं होता की उस पैसा
का क्या प्रयोग होगा, कई धार्मिक इस्तल व बाबा आदि को दान कर देता है और वो
पैसा बर्बाद हो जाता है ! बर्बाद इसलिए कह रहा हू, क्योंकि एसे संस्थानो के कर्ता धर्ता
अधिकतर मामलो में उन पैसो से समाज के विकास की जगह स्वयं का विकास करते है
लोग धार्मिक गुरुओ पर अपनी आस्था रखते है, जबकि उनके अनौतिक कृत्य सामने आते रहते है ! अगर दान का पैसा गरीबो के विकास, अनाथ बच्चों के प्राथिमिक
शिक्षा व पोषण में खर्च हो तो देश और समाज का ही सहियोग होगा ! धार्मिक संस्थान
टैक्स चोरों का तो संकट मोचन होती है दान से जादा की (तिन चार) गुनी अधिक की रसीदे मिल जाती है एसा इसलिए क्योकि दान आयकर से मुक्त होती है !
कही न कही हम सब इसके लिए जिमेवार है

Saturday, 18 June 2011

Hakikat.....

Aaj u hi Soch apne mohle mai ghum aau.....
par jo dekha wo shyad kabhi na bhul pau Mere ghar se do gali piche ek Uncle rhte hai naam to nahi pta, par wo hamesa hi aapni barai karte rhte hai....
unke ghar ke samne ek electric pol (Bijli ka khamba) hai unhone kuch din pahle us par ek Wall Watch (Diwal Ghari) latka di kisi ne bhi kuch jada Reaction nahi diya par aaj Subh us ghari ke thik niche ek A4 paper par likha tha "MAINE SAMYE KO BARBAD KIYA THA OR AAJ YE SAMYE MUJHE BARBAD KAR RHA HAI"...................
Padhte hi mai ruk gya or wahi khada sochta rha...
Insan ko aapne galtio ko pachtao aapne akhari samye mai kyu hota hai ? ?

Friday, 10 June 2011

मेरी समझ में उनकी जिद भी नहीं आती...

मैं कला का सम्मान करता हूँ और किसी कि भी मौत पर दुःख प्रकट करता हूँ. खास कर मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे महान हस्ती पर . . . पर आज जिस तरह से लोग उनके गुजरने पर सर पटक रहे हैं उस पर मुझे हँसी आती है . . . क्या फ़ायदा जब आप सब उन्हें हिन्दुस्तान में नहीं रोक सके जहाँ उन्होंने ज्यादा कठिन समय गुजारा था . . . आजादी की लड़ाई . . . पर मेरी समझ में उनकी जिद भी नहीं आती . . . मैं मानता हूँ कि अजंता की गुफाओं से लेकर हमारे मन तक . . . स्कूल और ट्रेन के बाथ रूम से लेकर हमारे ड्राविंग रूम तक . . . हमारे प्राचीन चित्रकारी से लेकर आज के इन्टरनेट तक . . . निर्जीव से सजीव तक . . . हर जगह नग्नता है . . . पर ऐसी बहुत सारी बातें हैं देश में जैसे मांसाहार, विधवा विवाह, बहुविवाह . . . गरीब आदिवासी महिलाओं का तो सजीव नग्न फोटो कहीं भी मिल जाएगा . . . उसी ने तो गांधी को हमेशा के लिये अर्ध नग्न कर दिया था . . . सब पर क्यूँ नहीं चित्रकारी की हुसैन साहब ने . . . खैर वो भी नहीं तो जब आरोप लगाने लगे तो फिरोज गाँधी की तरह कभी अपने पर भी नजर दौड़ा ली होती . . . मुझे पूरा यकीन है कि उन्हें मालूम रहा होगा कि मोहम्मद साहब के सबसे जवान पत्नी किसी फ़ौजी सिपाही के साथ भाग गयी थी . . . उसपर कुरान का एक पूरा सूरा है . . . कभी उन दोनों पर एक फोटो बना दिया होता . . . खैर मैं तो अभी भी दुखी हूँ एक महान आत्मा के हमारे बीच से केवल उठ जाने पर बल्की बहुत ग्लानी महसूस कर रहा हूँ कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश उन्हें खुश नहीं रख सका . . .
और हाँ एक नहुत बड़ी वास्तविकता यह भी कि यदी विवाद और अतिवाद न हुआ होता तो ज्यादातर लोग उन्हें जानते भी नहीं . . . भारत गरीबों का देश है . . .माँ बहनों का रोज बलात्कार होता है . . .कहां फुर्सत है नेता जी की गाड़ी के पीछे और इंस्पेक्टर साहब के घर जाने से . . .
मैं समझता हूँ हर किसी को उनके वतन बदर होने का तकलीफ है . . . पर इसके लिये जिम्मेवार कुछ न कुछ तो वो भी थे . . . उन्हें लगा कि भारत माता का बलात्कार हो रहा है तो उनके कवी मन को चाहिए था कि चित्र के बगल में कुछ शब्द भी छोड़ दे . . . (वो एक कवी...
By :- Dr. Manish Kumar
        Neurosurgeon
        Chennai
Join Dr. Manish Kumar 
http://www.facebook.com/drmanku

Thursday, 9 June 2011

यह देश कया है ? और किसके लिये है ?


उपरोकत बदलावो ने लोगो को एक अहम सवाल के बारे मे़ सोचने के लिए विवश कर दिया है
यह देश कया है? और किसके लिये है? इसका जवाब धीरे‍‍‍‍‍‍ ‍‍धीरे इस रुप मे आया ।
भारत का मतलब है.
यहाँ की जनता , भारत, यहाँ रहने वाले किसी भी वगॆ, रगं, जाति, पथं, भाषा या जेंडर वाले तमाम लोगों का घर है। यह देश और इसके सारे संसाधन और इसकी सारी परनाली उन सभी के लिये है। इस जबाब के साथ ये अहसास भी सामने आया कि इस देश कि सरकार ने याहा के लोगों की जिंदगी पर कबजा जमाए हुए है ओर जब तक यह नियंञण खतम नहीं होता, भारत यहाँ के लोगों का, भारतीयों का नहीं हो सकता।
By:- Atul Kumar
http://www.facebook.com/journalisttime