हर लम्हा उसको चाहने की अब तो आदत सी हो गई
देखता रहता हूँ दुढ़ता रहता हूँ एक नई झलक एक नया तरंग
उसके चहरे पर, अब तो बेचैन रहने की आदत सी हो गई...
जानता भी नहीं की उसको खबर है मेरी या नहीं पर मै और
मेरी चाहत तलास मे उसके दीदार के जाने अनजाने बेगाने
घूमता रहता है हर पहर इस कड़ी धुप मे खड़े रहने की आदत सी हो गई ...
दोस्तों यारो से अपना नाम पागल आशिक सुनने की आदत सी हो गई
अब तो उसको चाहने की आदत सी हो गई ....
अपनी आँखो मे उसको तरासने की, हर धड़कन मे उसका नाम सुनने की
अब तो आदत सी हो गई ना जाने किस राह पर चल पड़ा ये दिल मेरा ना
जाने इसकी मंजिल कहा है पर अब तो उस मंजिल को पाने की चाहत सी हो गई....
पता नहीं जानता भी है या नहीं मेरा खुदा और ऐ तक़दीर मेरी की है या नहीं
वो मेरे मुकदर मे मेरे पर फिर भी उसको अपना मुकदर बनाने की तडप सी
हो गई अब तो उसको चाहने की आदत सी हो गई......!!!!
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