Thursday, 9 June 2011

यह देश कया है ? और किसके लिये है ?


उपरोकत बदलावो ने लोगो को एक अहम सवाल के बारे मे़ सोचने के लिए विवश कर दिया है
यह देश कया है? और किसके लिये है? इसका जवाब धीरे‍‍‍‍‍‍ ‍‍धीरे इस रुप मे आया ।
भारत का मतलब है.
यहाँ की जनता , भारत, यहाँ रहने वाले किसी भी वगॆ, रगं, जाति, पथं, भाषा या जेंडर वाले तमाम लोगों का घर है। यह देश और इसके सारे संसाधन और इसकी सारी परनाली उन सभी के लिये है। इस जबाब के साथ ये अहसास भी सामने आया कि इस देश कि सरकार ने याहा के लोगों की जिंदगी पर कबजा जमाए हुए है ओर जब तक यह नियंञण खतम नहीं होता, भारत यहाँ के लोगों का, भारतीयों का नहीं हो सकता।
By:- Atul Kumar
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4 comments:

  1. अब तक सिर्फ सुना या पढ़ा था कि गांधी जी थे, जिन्होंने अहिंसा के बल पर देश को स्वतंत्र कराया था और आज अन्ना हजारे ने अहिंसा की ताकत के दर्शन भी करवा दिए. पिछले सात दिनों से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे अन्ना को जो समर्थन मिला, उसकी कल्पना गांधी जी के अनुयायियों ने कभी नहीं की नहीं थी. अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने में माहिर कांग्रेस ने आजादी से लेकर आज तक न जाने कितनी बार सत्ता का इस्तेमाल करते हुए लोकतंत्र का गला घोंट दिया. लेकिन आज अन्ना ने कांग्रेस को अहिंसा के बल पर ही घुटने टेकने को मजबूर कर दिया. आज बच्चाबच्चा जान गया है अहिंसा की ताकत को, वरना उसको तो आज तक यही सिखाया गया कि झंडा उठाओ और निकल पड़ो नारे लगाते हुए और नतीजा सिफर. भले ही आजादी के बाद शुरूआती दौर में कांग्रेस ईमानदार रही हो, पर समयसमय के साथसाथ उसके नेताओं की नीयत बदलती गई और देश भ्रष्टाचार के गर्त में डूबता चला गया. कहा जाता है कि एक न एक दिन तो पाप का घड़ा भर ही जाता है, ठीक वैसा ही आज हो रहा है. अन्ना की आवाज को आननफानन में दबाने के प्रयास में अन्ना को जेल में डालकर कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली. अन्ना की हिम्मत से देशवासियों का जमीर जाग गया. आज हालात यह है कि देश के कोनेकोने से अन्ना के समर्थन में आवाज निकलने लगी है. यह आवाजें आवाज नहीं हुंकार बन गई है. इसका एक सच यह भी है कि भले ही किसी को पता न हो लोकपाल बिल क्या है, उसके कानून बन जाने पर क्या फायदेनुकसान होंगे. भ्रष्टाचार कितना दूर होगा, नहीं मालूम. लेकिन भारतवासियों की उम्मीद बन चुके अन्ना पर उसका पूरा भरोसा है, वह जान रहा है कि अन्ना भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जो कर रहे है, वह बिलकुल सही है, इसलिए वह अपने व्यस्त समय में समय निकाल कर अन्ना की आवाज को बुलंद बनाने के लिए सडक़ों पर उतर रहा है. हर कोई अपनी हैसियत के अनुसार आंदोलन में भागीदारी कर रहा है, बच्चे पूरे दिन क्लास में पढऩे के बाद रैलियां निकाल रहे है तो बड़े शाम के समय कैंडिल मार्च, कोई गांधी टोपी लगाए ही घूम रहा है तो अपना सिर ही मुंडवाए बैठा है. हर ओर विश्व विजयी प्यारा तिरंगा दिखाई दे रहा है, जो आज तक सिर्फ २६ जनवरी या १५ अगस्त को ही बक्सों से बाहर निकल पाता है, वह आज सबकी शान बन चुका है. इस सबके बीच एक ही बात सबसे महत्वपूर्ण है कि न कोई हिंसा, न कोई फिजूल की मारमारी, लेकिन फिर भी क्रांति की शुरूआत हो गई. यही तो है अहिंसा की ताकत. कितना अच्छा सा लग रहा है कि वक्त ने ली करवट और धीरे से आ गई गांधी के देश में अन्ना की आंधी. दोस्तों पहले स्वामी रामदेव जी ओर अब अन्ना जी और उनकी टीम , मै धन्यवाद् करना चाहूँगा इन सभी महानुभवों का जो इन्होने सैकड़ों कुर्बानियों को याद रखा ओर राष्ट्र के जन - जन को जगाया सभी को इन सभी भ्रष्टाचारी राजनेताओं का चेहरा दिखाया , आज इतना बड़ा जन सैलाब सब इन्हीं महापुरुषों के विचारों की देन है , अब भी कुछ न हुआ तो फिर क्रांति का बिगुल बजेगा , विनती करना चाहूँगा उन सभी देशभक्तों से जो पता नहीं कब से अलग - अलग रहकर खून के आँसू बहा रहे हैं , जिनके दिल और दिमाग में देश के प्रति जूनून है , तैयार रहें सर पर कभी- भी कफ़न बाँधने की जरूरत पड़ सकती है , लगता है अब समय बदल गया है शायद गाँधीवाद से काम नहीं चलेगा , गाँधी जी के अनुयायी कहे जाने वाले ही भूल गए हैं कि गाँधीवाद क्या होता है तो फिर बिगुल बजाना ही पड़ेगा , आप सभी से एक ओर गुजारिश करना चाहूँगा मेरे विचार व्यक्तिगत है किसी संस्था या किसी पार्टी के साथ जोड़कर न देखें , वन्देमातरम I

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  2. अगर कुछ पार्टिओं को अहंकार हो गया है की नोट के बदौलत हम फिर से लोगों के जन भावनाओं नज़रन्दाज कर गद्दी में कभी भी वापस आ जायेंगे क्या ? तो हमें लगता है की इस बार अगर रास्ट्रीय पार्टियाँ चुक गयी तो हमें ऐसा महसुश हो रहा है,की कोई नयी शक्तिशाली रास्ट्रीय पार्टी खरी हो जाएगी ! कृपया आपलोग अपना टिपण्णी दें ............????????? जय हिंद जय भारत वन्दे मातरम !!!!

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  3. 16 अद्भुत बातें, जो जिंदगी के हर मोड़ पर काम आएंगी! ***************************...*****************
    यहां हम अनुभवों का निचोड़ कुछ ऐसी कीमती बातें दे रहे हैं जो जिंदगी को गहराई से जानने वाले ज्ञानियों ने नोट की हैं...
    1. गुण - न हो तो रूप व्यर्थ है।
    2. विनम्रता- न हो तो विद्या व्यर्थ है।
    3. उपयोग- न आए तो धन व्यर्थ है।
    4. साहस- न हो तो हथियार व्यर्थ है।
    5. भूख- न हो तो भोजन व्यर्थ है।
    6. होश- न हो तो जोश व्यर्थ है।
    7. परोपकार- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है।
    8. गुस्सा- अक्ल को खा जाता है।
    9. अहंकार- मन को खा जाता है।
    10. चिंता- आयु को खा जाती है।
    11. रिश्वत- इंसाफ को खा जाती है।
    12. लालच- ईमान को खा जाता है।
    13. दान- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है।
    14. सुन्दरता- बगैर लज्जा के सुन्दरता व्यर्थ है।
    15. दोस्त- चिढ़ता हुआ दोस्त मुस्कुराते हुए दुश्मन से अच्छा है।
    16. सूरत- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से लगानी चाहिये। ******************************
    जय हिंद .... वन्देमातरम .......

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  4. ...लालू की राह पर चल पड़े राहुल!
    एक वक़्त था जब लालू प्रसाद जनता के बीच सियासत का करिश्मा हुआ करते थे ...अपने शासन काल में उन्होंने जनता के दुःख - दर्द को दर किनार कर उन्हें अपने करिश्माई अंदाज़ से खूब बेबकूफ बनाया करते थे ...यहाँ तक की लालू प्रसाद जनता को भूखा रख उनके सामने नौटंकी करने से भी बाज़ नहीं आते थे ...बाढ़ हो या कोइ और आपदा जनता के नव्ज़ को कभी नहीं परखा और ना ही कभी उनके दर्द को महसूस किया ...उलटे उनके बीच जाकर उनका ही मज़ाक उड़ाते और हंसी - ठहाकों के बीच जनता को उनके ही हाल पर छोड़ दिया करते थे ...आज हाल है की बिहार में वो खुद मज़ाक बन कर रह गये है! ...मतलबपरस्त सियासत करना लालू को खूब महंगा पड़ा शायद ये दर्द लालू प्रसाद को आज जरुर सहलाता होगा!! ...काश अपने शासनकाल में अवाम का पेट नौटंकी से नहीं भरने की कोशिश किया होता क्योकि बिहार की अवाम ने लालू को 15 साल तक मौक़ा दिया था ...पर ये क्या लालू तो नहीं सुधरे ...राहुल भी उन्ही की राह पर चल पड़े ...इन्हें भी मुंह की खानी पड़ेगी क्योकि ये पब्लिक है सब जानती है ...बड़ा किसानों के हमदर्द बनने चले है ...किसानों के दर्द का अगर थोड़ा भी एहसास है राहुल को तो खुद की सरकार से लड़ कर महंगाई को खत्म करें ...डीज़ल पेट्रोल और केरोसिन के लगातार बढ़ते दामो पर लगाम लगवाये ...किसानों को युहिं राहत मिल जायेगी साथ ही राहुल की ऐसे नौटंकियों से निज़ात भी ...क्या मज़ाक है देश महंगाई से त्रस्त है ...देश के किसानों के मेहनत से उपजाई अनाज को कृषि मंत्रालय के उदासीन रवैये के कारण सही मूल्य नसीब नहीं हो पा रहा है लिहाजा किसानों की मेहनत पर पानी फेरा जा रहा है ...हर रोज गैरजिम्मेदार सरकारों की वज़ह के कारण अनाज सडाया जा रहा है ...आखिर क्यों नहीं दिखता राहुल को किसानों के खून पसीने की मेहनत ...क्यों नहीं राहुल बढ़ते महंगाई पर आवाज़ उठाते है नज़र आते है ...बस ऐसे वैसे बकवास और नौटंकी से अवाम का पेट नहीं भरनेवाला ...अगर सही मायने में किसानों और देश के गरीबों का दर्द का एहसास है तो उनके बीच मात्र जाकर मिडिया की सुर्ख़ियों में छाने से बेहतर होगा की राहुल सरकार पर दवाब बनाए जिससे महंगाई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके वरना जनता ऐसे नौटंकियों को सियासी और वोट की राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं समझेगी ...और राहुल गांधी का भी हर्ष लालू प्रसाद के जैसा ही होकर रह जाएगा ...लालू ने तो सत्ता का मज़ा चख भी लिया पर राहुल आपको शायद दो साल बाद वो भी ना नसीब हो! ...जय हिंद!!!

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