Tuesday 12 July 2011

"धार्मिक भ्रष्टाचार अपने चरन पर"


भारत देश में धार्मिक भ्रष्टाचार एक एसा मुदा है जिस पर प्रकाश डालना अति जरुरी है
हमारे आस पास कई एसे लोग है जो सायद ही पेट भर दो वक्त की रोटी खा पाते है !
आज प्रतिस्पर्धा में इंसान पैसा कमाने के लिए रात दिन एक कर देता है और फिर
उस पैसे को उस जगह दान कर देता है जिसका उसे पता भी नहीं होता की उस पैसा
का क्या प्रयोग होगा, कई धार्मिक इस्तल व बाबा आदि को दान कर देता है और वो
पैसा बर्बाद हो जाता है ! बर्बाद इसलिए कह रहा हू, क्योंकि एसे संस्थानो के कर्ता धर्ता
अधिकतर मामलो में उन पैसो से समाज के विकास की जगह स्वयं का विकास करते है
लोग धार्मिक गुरुओ पर अपनी आस्था रखते है, जबकि उनके अनौतिक कृत्य सामने आते रहते है ! अगर दान का पैसा गरीबो के विकास, अनाथ बच्चों के प्राथिमिक
शिक्षा व पोषण में खर्च हो तो देश और समाज का ही सहियोग होगा ! धार्मिक संस्थान
टैक्स चोरों का तो संकट मोचन होती है दान से जादा की (तिन चार) गुनी अधिक की रसीदे मिल जाती है एसा इसलिए क्योकि दान आयकर से मुक्त होती है !
कही न कही हम सब इसके लिए जिमेवार है