मैं कला का सम्मान करता हूँ और किसी कि भी मौत पर दुःख प्रकट करता हूँ. खास कर मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे महान हस्ती पर . . . पर आज जिस तरह से लोग उनके गुजरने पर सर पटक रहे हैं उस पर मुझे हँसी आती है . . . क्या फ़ायदा जब आप सब उन्हें हिन्दुस्तान में नहीं रोक सके जहाँ उन्होंने ज्यादा कठिन समय गुजारा था . . . आजादी की लड़ाई . . . पर मेरी समझ में उनकी जिद भी नहीं आती . . . मैं मानता हूँ कि अजंता की गुफाओं से लेकर हमारे मन तक . . . स्कूल और ट्रेन के बाथ रूम से लेकर हमारे ड्राविंग रूम तक . . . हमारे प्राचीन चित्रकारी से लेकर आज के इन्टरनेट तक . . . निर्जीव से सजीव तक . . . हर जगह नग्नता है . . . पर ऐसी बहुत सारी बातें हैं देश में जैसे मांसाहार, विधवा विवाह, बहुविवाह . . . गरीब आदिवासी महिलाओं का तो सजीव नग्न फोटो कहीं भी मिल जाएगा . . . उसी ने तो गांधी को हमेशा के लिये अर्ध नग्न कर दिया था . . . सब पर क्यूँ नहीं चित्रकारी की हुसैन साहब ने . . . खैर वो भी नहीं तो जब आरोप लगाने लगे तो फिरोज गाँधी की तरह कभी अपने पर भी नजर दौड़ा ली होती . . . मुझे पूरा यकीन है कि उन्हें मालूम रहा होगा कि मोहम्मद साहब के सबसे जवान पत्नी किसी फ़ौजी सिपाही के साथ भाग गयी थी . . . उसपर कुरान का एक पूरा सूरा है . . . कभी उन दोनों पर एक फोटो बना दिया होता . . . खैर मैं तो अभी भी दुखी हूँ एक महान आत्मा के हमारे बीच से न केवल उठ जाने पर बल्की बहुत ग्लानी महसूस कर रहा हूँ कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश उन्हें खुश नहीं रख सका . . .
और हाँ एक नहुत बड़ी वास्तविकता यह भी कि यदी विवाद और अतिवाद न हुआ होता तो ज्यादातर लोग उन्हें जानते भी नहीं . . . भारत गरीबों का देश है . . .माँ बहनों का रोज बलात्कार होता है . . .कहां फुर्सत है नेता जी की गाड़ी के पीछे और इंस्पेक्टर साहब के घर जाने से . . .
मैं समझता हूँ हर किसी को उनके वतन बदर होने का तकलीफ है . . . पर इसके लिये जिम्मेवार कुछ न कुछ तो वो भी थे . . . उन्हें लगा कि भारत माता का बलात्कार हो रहा है तो उनके कवी मन को चाहिए था कि चित्र के बगल में कुछ शब्द भी छोड़ दे . . . (वो एक कवी...
By :- Dr. Manish Kumar
NeurosurgeonChennai
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हम अन्ना का साथ क्यूँ दे ?
ReplyDeleteदेखिये बहुत से लोगो का ये कहना कहना है कि क़ानून बनाने का काम संविधान ने संसद को दिया है अतः अन्ना को उसमे हस्तक्षेप नही करना चाहिए | उन लोगो को मेरा ये कहना है कि कोई भी संविधान या क़ानून जनता से बड़ा नही होता है |
संविधान या क़ानून इसलिए बनाये जाते है ताकि लोगो के हितों की रक्षा की जा सके | अगर वे ऐसा करने मे असमर्थ है तो उन्हे बदल देना चाहिए |
अन्ना ऐसा क्यूँ कर रहे है ताकि इससे हमारा फ़ायदा हो सके | आज कोई भी सरकारी दफ़्तर मे बिना रिश्वत के काम नही होता है, ऐसे मे अगर कोई व्यक्ति हमारे हितों की रक्षा करने के लिए आगे आता है तो हमे उसका साथ देना चाहिए, ना की उसका विरोध करना चाहिए |
आज कोई पुलिस वाला आप पर बेवजह हाथ उठाता है तो आप उसकी शिकायत तो कर सकते है पर उस पर हाथ नही उठा सकते bcoz Govt. has “Right to Offence” but we don’t have “Right to defence”.
रही बात संविधान की तो संविधान ये कहता है कि इस देश मे कोई भी व्यक्ति निश्चितकालीन और अनिश्चितकालीन अनशन कर सकता है चाहे वह अलोकतांत्रिक ढंग से ही क्यों ना किया गया हो |
एक और बात, सरकार ये कहती है की क्या "जनलोकपाल बिल" पूरी तरह से भ्रष्टाचार मिटा देगा | तो आप मुझे ये बताईये कि अगर आज कोई केंसर से पीड़ित है तो वह क्या उपचार करवाना बंद कर देगा |
अतः हमे एक मजबूत लोकपाल बिल की आवश्यकता है | अन्ना एवं टीम द्वारा तैयार किया गया "जनलोकपाल बिल" सरकार द्वारा तैयार किया गये लोकपाल बिल से लाख गुना अच्छा है जो काफ़ी हद तक भ्रष्टाचार का सफ़ाया कर देगा |
तो अब आप बताएँ की हमे अन्ना का साथ देना चाहिए या नही ?